Shayar Bemisal, Shayari Bakamal Part - 2

Shayar Bemisal, Shayari Bakamal Part - 2

by Pavan Kumar
Epub (Kobo), Epub (Adobe)
Publication Date: 30/07/2019

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पवन कुमार ‘पावन’ साहब द्वारा लिखी गई यह किताब न केवल उर्दू शायरी का मुख़्तसर इतिहास है बल्कि एक मुकम्मल मजमूआ है क्योंकि इसमें उर्दू शायरी की मुकम्मल जानकारी दी गई है, उर्दू शायरी से सम्बन्धित हर चीज़ का संक्षेप में विश्लेषण है। शायरी के विकास, उसमें आई तब्दीलियां, उसकी अलग-अलग किस्में सब बातों का जि़क्र एक ही किताब में कर लेखक ने ‘गागर में सागर’ समोई है। इसके अलावा शायरी की खूबियों और कमियों का जि़क्र कर लेखक ने पाठकों की शायरी की समझ का भी विकास करने का प्रयास किया है। साथ ही उर्दू शायरी के नुमायां शायरों के चुनिंदा कलामों को तरतीब के साथ जमा/पेश करके एक खूबसूरत सिलसिला बनाया है, जिसमें पाठक एक हसीन ख़्वाब की तरह डूब के रह जायेगा। लिखने का अन्दाज इतना आसान और रसमय है कि उर्दू शायरी से नावाकिफ पढ़ने वाला भी शायरी का पूरा मज़ा हासिल कर पायेगा। अपनी तहरीर में उर्दू शायरी के रौशन सितारे जनाब ‘बशीर’ बद्र साहब ने सही कहा है कि ‘यह किताब उर्दू शायरी का एक बेहतरीन दस्तावेज है और मोज़ूआत तथा लफज़ीयात का एक दिलकश हार है।’ दूसरी तहरीर में जनाब फिरोज़ अहमद साहब जो राजस्थान वि-वि- जयपुर में उर्दू एवं फारसी विभाग के अध्यक्ष हैं, ने इस किताब को ‘मुफीदे-मतलब और बामानी’ बताया है। मुख़्तसर रूप में जनाब विजय वाते साहब ने अपनी तहरीर में यह सही कहा है कि ‘यह किताब देवनागरी में उर्दू शायरी का लुत्प़्ाफ़ लेने वाले पाठकों के लिए एक ऐसा दरवाज़ा है जिससे प्रवेश करते ही वह शायरी के उस जगमग और चमकदार संसार से रूबरू होता है जिसके लिए वह अब तक तरस रहा था।’ इस पुस्तक में ज़ुबान की सलासत और सादगी इसे मौसीकी की शक़्ल देती है और यह कहा जा सकता है कि यह पूरी किताब ही एक नज़्म या गज़ल है जो पढ़ी जाने पर एक अजीब-सा सुकून और खुशी देती है। हमारा यह कहना ठीक रहेगा कि यह किताब उर्दू शायरी के एक कद्रदान के दिल की आह है और ऐसी आह के बारे में किसी शायर ने सही कहा है कि-
दिल से जो आह निकलती है, असर रखती है।
पर नहीं रखती, ताकते परवाज़ मगर रखती है।।
हमें उम्मीद है कि यह किताब प्यार करने वालों के लिए दवा तथा सुखन फहमों के लिए एक अहम दस्तावेज़ साबित होगी और इसे बहुत पसन्द किया जायेगा। इसीलिए कहा है कि-
कई दीवानों के दीवानों को एक साथ पिरोया है।
यह कारे बेमिसाल, खुद दीवानगी में खोया है।।
प्यार के दीवानों के लिये है अकसीर, तो सयानों के लिए तप्फ़सीर।
वाह इसने तो समंदर को कूजे में समोया है।।

ISBN:
9789352968060
9789352968060
Category:
Poetry
Format:
Epub (Kobo), Epub (Adobe)
Publication Date:
30-07-2019
Language:
English
Publisher:
Diamond Pocket Books Pvt Ltd

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