तानाजी मालुसरे छत्रपति शिवाजी महाराज के घनिष्ठ मित्र और वीर निष्ठावान मराठा सरदार थे। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ मराठा साम्राज्य, हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए सूबेदार की भूमिका निभाते थे। तानाजी छत्रपति शिवाजी महाराज के बचपन के मित्र थे. उन्होंने १६७० ई. में सिंहगढ़ की लड़ाई में अपनी महती भूमिका निभाई। वैसे तो छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना मे कई सरदार थे, परंतु छत्ररपती शिवाजी महाराज ने वीर तानाजी मालुसरे को कोढणा आक्रमण के लिए चुना। कोढणा "स्वराज्य" में शामिल हो गया लेकिन तानाजी मारे गए थे। छत्रपति शिवाजी ने जब यह ख़बर सुनी तो वो बोल पड़े "गढ़ तो जीता, लेकिन मेरा "सिंह" नहीं रहा। यह पुस्तक तानाजी मालुसरे के जीवन संघर्ष को पाठकों के सामने प्रस्तुत करती है।
हिमांशु शर्मा का जन्म राजस्थान के अलवर जिले में पिता महेंद्र प्रताप शर्मा और मां शशि बाला शर्मा के घर हुआ। उन्होंने अपनी स्कूलिंग अलवर से पूरी की और उच्च शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से पूरी की। इसके बाद उन्होंने सिनेमा के क्षेत्र में मुंबई की ओर रुख किया। जहां वे थिएटर, फिल्म, टीवी, विज्ञापनों में सहायक निर्देशक के रूप में जुडे रहे।
लेखन के क्षेत्र से वे एक राजस्थानी फिल्म को लिखकर जुडे और इसके बाद वीर तानाजी मालुसरे की जीवनी से संबंधित उपन्यास लिखकर वे पुस्तक प्रकाशन से जुडे और कई पुस्तकें लिखी। इसके अलावा कई लघु फिल्म, टी.वी. विज्ञापन भी वे लिख चुके हैं।
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